चूहे और चुहिया जी
चूहे और चुहिया जी
चूहे और चुहिया जी में, हो गयी पटका-पटकी
गुस्से में चूहे ने चुहिया पे, दे मरी एक मटकी
खून देखकर चुहिया को, आया बहुत गुस्सा
कभी नहीं आउंगी कहकर, उठाया अपना बक्शा
चूहे को अपनी गलती पर, हुआ बड़ा पछतावा
हाथ पकड़कर बोले ,रानी पास हमारे आवा
रुपैया देकर बोले, हमका छोड़के न जाना
शुरू कर दिया धीरे धीरे, इल्लू इल्लू गाना
चुहिया बोली इल्लू इल्लू से ,दाल नहीं गलने वाली
जेब में रुपैया हो तो, दो चार और भी मटकी है फोड़ने वाली
