क्या ऐसा कोई जहां नहीं
क्या ऐसा कोई जहां नहीं
क्या ऐसा कोई जहां नहीं
जहां खुशियां हों और दर्द नहीं
क्या ऐसी कोई बात नहीं
जिसकी कोई अल्फ़ाज़ नहीं
ये जीवन है सुख दुःख का
क्या इनका कोई मेल नहीं
क्या ऐसा कोई गीत नहीं
जिसकी कोई संगीत नहीं
क्या ऐसा कोई जहां नहीं ,
जहां खुशियां हों और दर्द नहीं
अँधेरा है यहां , रौशनी भी यहां
फिर भी सब दिखता है धुआं धुआं
कुछ भी मुट्ठियों में ठहरता नहीं
जैसे खेला हों मैंने ज़िंदगी का जुआ
क्या ऐसा कोई खेल नहीं
जिसमें हारने-जीतने की कोई रेल नहीं
क्या ऐसा कोई जहां नहीं
जहां खुशियां हों और दर्द नहीं
