हमे अपना फ़र्ज़ निभाना है|
हमे अपना फ़र्ज़ निभाना है|
पंचतत्व से शरीर बनाकर
जीवात्मा हममे भरते हैं
वो हमारे भाग्य विधाता हैं
ईश्वर हम जिनको कहते हैं
हैं कर्जदार हम ईश्वर के
हमे अपना कर्ज चुकाना हैं
मानवता की रक्षा करके
हमे अपना फ़र्ज़ निभाना है
हैं कर्जदार हम पौधों के
जो श्वांसवायु से ज़िंदगी देते हैं
हमे अपना कर्ज चुकाना हैं
इनके जीवन की रक्षा करके
हमे अपना फ़र्ज़ निभाना है
हैं कर्जदार माँ-बाप के हम
जिन्होंने हमको दिया जनम
हमे अपना कर्ज चुकाना हैं
तन-मन-धन से उनकी सेवा करके
हमे अपना फ़र्ज़ निभाना है
