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Shalinee Pankaj

Abstract

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Shalinee Pankaj

Abstract

चपलता

चपलता

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ये चपलता 

स्थायीपन भले ही न दे

पर देता है प्रसन्नता,अल्हड़ता

जीने का बिंदासीपन।


खुशियां

बेवजह की मुस्कुराहट

औऱ आस पास के लोगों को भी

मजबूर कर देता है मुस्कुराने को

कभी कभी तंग भी 

पर गुस्सा नहीं।


कभी नहीं

ये चपलता ही तो है

जो कभी वृद्ध नहीं होने देती

एक बचपना सा उम्र रहता है

तमाम जिंदगी भर।


उल्लास लिए

हड़बड़ी

चुलबुलापन

कभी कभी

सफलता तक भले ही न जा पाये

पर जीवन सरल बना देता है।


चिंता जिसके पास नहीं फटकती

बेख़ौफ़ जिंदगी कितनी अच्छी होती है न

विचारों में डूबे रहने से

भाता है ये चपलता मुझे।


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