चोरखमारा की सहल
चोरखमारा की सहल
रसिकगण हो आयको तुमी,
सांगुसु तुमला मोरो जुबानी, सच्ची की,
या मोरी कहानी, जंगल सहल की।।धृ।।
लहानपन शिकत होतो,
वर्ग आमरो तिसरो गा।
मेंढ़ाको वु टेंभरे गुरुजी,
होतो चेहरा हासरो गा ।।
सांगीन तुमी करो तयारी,
सहल जानकी से सकारी, शाळा की,
या मोरी कहानी, जंगल सहल की ।।१।।
पैदल चल्या देखन आमी,
चोरखमारा को तरा गा।
जंगल मोठो सघन होतो,
झाड लंबा उचा खरा गा ।।
आया सपाई ओन ठिकान,
बिच तरा निसर्गकी शान, टापु की,
या मोरी कहानी, जंगल सहल की ।।२।।
दुपारी आमी जेवनसाती,
शिदोरी आपली खोल्या गा।
वनभोजन करो मिलशानी,
गुरुजी आमरा बोल्या गा ।।
आता कालाकी प्रसाद भयी,
सबजनला मज्या आयी, जेवन की,
या मोरी कहानी, जंगल सहल की ।।३।।
दिवस बुड़न को पयले,
घरसाती वापस भया गा।
दोक्की लगी रहेव मी मंग,
सपाई सामने गया गा ।।
एकटोमा मोला दिस्या बंदर,
रस्ता मी नापेव बन निडर, घर की,
या मोरी कहानी, जंगल सहल की ।।४।।
(या मोरी नहानपन की घटी खरी कहानी आय)
