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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Action Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Action Fantasy

चोर पुलिस की जय वीरू जोड़ी

चोर पुलिस की जय वीरू जोड़ी

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🎭 चोर–पुलिस की जय–वीरू जोड़ी 🎭

🤪 एक व्यंग्य काव्य 🤪 
✍️ श्री हरि

31.10.2025 

भू माफिया की मीटिंग में पुलिस करती थानेदारी 
प्लॉट कब्जा कंपनी में, दोनों की हिस्सेदारी 
रिश्वत की चाय पिलाकर जब जमीनें हथियाईं जातीं हैं 
तो अपराध की जड़ें नहीं, आम जनता की नींव हिलाई जाती हैं।

बजरी माफिया के ट्रक निकलें — बिना नंबर, बिना डर,
थानेदार बोले — “हर ट्रक पर अपना कमीशन, तुरंत क्लियर।”
दारू माफिया से सेटिंग में गुलजार रातें खाकी वर्दी की
दोनों मालामाल, गर्म होती हैं रातें सर्दी की। 🍾

ड्रग्स माफिया देता गिफ्ट — “सर, एप्पल का मोबाइल रखिए,”
फिर कहता — "छापा हमें सूचना देने के बाद ही डालिए"
हथियार माफिया बोला — “गोली हमारी, बंदूक तुम्हारी,”
दोनों गाते हैं — “दोस्ती फेविकोल के जोड़ सी, तुम्हारी हमारी ” 💣

साइबर ठगी वाला बोले — “सर, अकाउंट में किया मनी ट्रांसफर,”
थानेदार हँसे — “बहुत अच्छे! लूटे जा जानता को होकर निडर!”
चोरी, डकैती में पहले से होती है प्लानिंग प्यारी,
“इनकी मिलीभगत में पिसती जनता सारी।” 😂

हत्या के केस में जांच बड़ी कलात्मक होती है,
कहीं सबूत गायब, कहीं नक्शे में गड़बड़ी होती है।
बलात्कार के केस में पीड़िता रोती है बेहाल,
समय पर मेडिकल नहीं, पुलिस बनती अपराधी की ढाल। 😔

फाइलों में अपराध नहीं, गठजोड़ दर्ज़ होता है,
हर लूट का हिस्सा, हर डकैती का मर्ज़ होता है।
थाने की दीवारें जानती हैं — चोर - पुलिस एक हैं 
पुलिस की जांच में कुछ नहीं, बस छेद ही छेद हैं। 

कानून के मंदिर में घंटी बजती है झूठी,
"गांधी छाप" से सच्ची कहानी भी बन जाती झूठी। 
जनता कहे — “न्याय मिले!”, अफसर बोले — “रिश्वत मिले"
और अपराधी हँसे — “हम तो खाकी और काली वर्दी से मिले!” 😏

अरे! ये जय-वीरू की जोड़ी है जिससे जनता त्रस्त है 
चोर -पुलिस -वकील - जज - नेता सब मिले हैं, मस्त हैं। 
एक पकड़ता नहीं, एक कोर्ट से छुड़ा लेता है 
नेता के बंगले पर हर थाने का "ठेका" उठता है। 

जब तक जेब में रिश्वत की लौ जलती रहेगी,
सच्चाई की मशाल रिश्वत से बुझती रहेगी।
यह गठजोड़ देश का सबसे बड़ा अपमान है,
जहाँ ‘कानून’ केवल बिकने वाला सामान है। 💰


समापन में —

चोर बोले — “सर, होली दीवाली मिलकर साथ मनाएंगे"
पुलिस हँसी — “क्यों नहीं, साथ साथ नाचेंगे, जाम छलकाएंगे"। 
जनता ने जज से पूछा — “न्याय का सूरज कब उगेगा?"
जवाब आया — “जब काली - खाकी का अपराधियों से गठजोड़ टूटेगा!" ☀️



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