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Satyendra Gupta

Inspirational

4.2  

Satyendra Gupta

Inspirational

चलो कुछ मर्दों वाली बात हो जाए

चलो कुछ मर्दों वाली बात हो जाए

1 min
477


चलो कुछ मर्दों वाली बात हो जाए

चर्चा कुछ सुखों और दुखो वाली रात हो जाए

कभी आंखों वाली आंसू तो दर्दों वाली बात हो जाए

हर बातो को समझते हुए भी न समझने की बात हो जाए।

दिल में कसक और दर्द है बहुत मगर मुस्कुराने की आदत हो जाए।

चलो कुछ मर्दों वाली बात हो जाए।


चला था राह पर राही बनकर

पत्नी का पति बनकर

बहना का भाई बनकर

मां पिता का बेटा बनकर

उनके हरेक जिमेवारी को पूरा करना है

मेहनत करता हु उन सबके खातिर

हे ईश्वर सबकी खुशियां पूरी हो जाए

चलो कुछ मर्दों वाली बात हो जाए।


माता, पिता, भाई, बहन ,पत्नी सभी का ख्याल रखना पड़ता है

उनके हर ख्वाहिशों को पूरी करना पड़ता है

कभी रोता हु तो कभी हसता हु

लेकिन किसी से कहता हु नही

कह भी नही पाता की तुम बिन रहा न जाए

चलो कुछ मर्दों वाली बात हो जाए।


खुद से भोजन बनाना और खुद से ही खाना

कपड़े भी खुद से धोना खुद ही पड़ता है सुखाना

परिवार की सुखों की खातिर हर दुखों को पीना

परिवार खुश रहे मर्द चाहता यही है

सभी लोग खुश रहे कभी दुखी ना होए

चलो कुछ मर्दों वाली बात हो जाए।


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