मेरे देश की धरती
मेरे देश की धरती
जहां संस्कृति का साहित्य है
मानव में अब भी जीवित चरित्र है
मन में निर्मलता और विश्वास है
अनेकता में एकता का प्रतीक
वर्तमान और इतिहास है
ऐसी मेरे देश की धरती का प्रकाश है
ये देवताओं की भूमि है
ये वीरों की देशभक्ति का प्रतीक है
ये मानव की आत्मनिर्भरता, दृढ़ता का सूचक हैं
शत्रु की मनसा को विध्वंश कर
जीत का पंचम लहराने वाले
शहीदों और सैनिकों की गौरवशाली गाथा है
ये मेरे देश की धरती की महानता है
जहां मन के निश्चय से ही मानव,
थल को नाप लेता है
लाख कठिनाइयों को पार करके भी
मंजिल तक पहुंचता है
कर्म जहां आज भी पूजा है
निराशा में भी जहां आशा का दीपक जलाता है
रिश्तों में जहां संस्कार के मोती मिलते हैं
भारत माता के जयकारों से
गूंजती धरती और गूंजता आसमान हैं
ये मेरे देश की धरती भारतीयों का अभिमान हैं।
