“ चलो होली मना लें “
“ चलो होली मना लें “
चलें हम आज
खुशियाँ मना लें
सबको रंगों के
तिलक लगा दें
होली के त्योहार में
मिल के ही
मतभेदों को हम
आज भुला दें
कोरोना के कहरों
से हम होली
रंग गुलाल उड़ना
भूल गए थे
अपने लोग
अरिजन -परिजन
हमको राहों में
छोड़ गए थे
उनके बलिदानों ने
ही हमको
खुशियों का
यह पैगाम दिया
जब -तक जीना है
दुनियाँ में
रहने का हमें
आयाम दिया
आज हमारी
झोली में फिरसे
खुशियाँ लौट के
घर आयीं हैं
होली के रंगों
से लिपट कर
प्रकृति -छटा
निखर आयीं हैं
यह अवसर है
जी लेने का
रंगों से तन को
भिंगोने का
ना गिला रहे
शिकबा कोई
प्रेमों में ही बंध जाने का !!
