चलो चलें सूरज के गांव १ (कवी-श्री शिवनारायण जौहरी
चलो चलें सूरज के गांव १ (कवी-श्री शिवनारायण जौहरी
चलो चलें सूरज के गाँव!
चलो चलें अपने ही पाँव!!
सारा तम कैद किए
पुलकन के जाम पिए
मध का घट साथ लिए
छलका रे झूम झूम
चलो चलें सूरज के गाँव!
तुम भी चलो हम भी चलें
मोती और सीप चलें
द्रोह, द्वेष, डाह जलें!
