चल री सजनी
चल री सजनी
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चल री सजनी छोड़ सब कुछ ना तेरा कोई साथ है
अश्कों में दिन- रात बीते दिल से ना कोई बात है
मेरी नज़रें तुम को ढूंढें तू क्यों मुझसे दूर है
आ वफा की बात कर लें प्यार क्यों मगरूर है
दर्द दिल का बढ़ता जाए होती न मुलाकात है
अश्कों में दिन-रात बीते दिल से न कोई बात है-----
रूह भटके जग भंवर में दिखे न कोई राह है
आशिकों की प्रीत को न मिले अब पनाह है
पाक मोहब्बत 'पूर्णिमा" खाली फिर यह हाथ है।
अश्कों में दिन- रात बीते दिल से ना कोई बात है---