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Ajay Amitabh Suman

Drama Inspirational

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Ajay Amitabh Suman

Drama Inspirational

चिर कल्पों तक गुणगान रहे

चिर कल्पों तक गुणगान रहे

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चाह नहीं धन धान्य संपदा, चाह नहीं अतुलित बल ज्ञान,

तुष्ट यदि ईश्वर मुझसे तो इक्क्षित तुुुझसे ये वरदान।

भिन्न प्रान्त के भाषा भाषी, इस राष्ट्र के सकल निवासी,

अलीगढ़ याकि मथुरा काशी, राष्ट्र हित के हो अभिलाषी।


दया क्षमा का यहाँ वरण हो, प्रतिहिंसा को नहीं शरण हो,

राम नाम पे नहीं मरण हो, ना अजान पे कोई रण हो।

धर्म नियंत्रित ना हो शासन, मंदिर मस्जिद ना हो भाषण,

प्रभु विनती ये तुझसे हर क्षण, जनहित तत्पर रहे प्रशासन।


भिन्न जाति भिन्न धर्म तमाम, बने राष्ट्र के मज्जा प्राण,

आर्यवर्त के जन गण मन में राष्ट्र धर्म हो, सर्व प्रधान।

हे ईश्वर तू वृद्धि दे, शासक सेवक हो बुद्धि दे,

सम्मान रहे अक्षुण, अक्षय, वो सिद्धि दे मन शुद्धि दे।


इस देश की सब संतान, तज घृणा मिथ्या अभिमान,

करे प्रेममय सुधा का पान,भारत का हो नव निर्माण।

नर नारी में ना कोई भय हो, युवती सबल हो व निर्भय हो,

विपदा पड़े ना पड़े अकाल, ना बाढ़ ना कोई प्रलय हो।


आत्म ज्ञान में ना कोई क्षय हो, फलित सर्वदा लभित अजय हो,

विश्व गुरु हो पुनर्स्थापित, देश का ऐसा दृृृढ निश्चय हो।

जम्बूद्वीप की शान बढ़े, यहाँ ज्ञान बढ़े,विज्ञान बढ़े,

चहुँ ओर हो अभिनन्दन कि आर्यवर्त का नाम बढ़े।


चिर मान रहे, चिर आन रहे, ईश्वर तेरा वरदान रहे।

राष्ट्र महान ये कल्पों से, चिर कल्पों तक गुणगान रहे।


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