STORYMIRROR

Garima Kanskar

Inspirational

4  

Garima Kanskar

Inspirational

छूना है आसमाँ

छूना है आसमाँ

1 min
297

मुझे बचपन से

आसमाँ को छूने

की बड़ी तमन्ना थी


तो सीढ़ियां लेकर

जाती उसमें

चढ़कर आसमाँ को


छूने की लगातार

कोशिश करती

हर बार असफल

होती थी


न आसमाँ छू पाती थी

ना चाँद तारे

तोड़कर ला पाती थी


ना ही सूरज के पास जा पाती थी

पर लगातार कोशिशों

ने मुझे कभी न हार

मानने का जज़्बा सिखया


हर बार मुझे अपने आप

मुकाबला करने के लिए

प्रेरित किया


मुझे ये सिखाया कि

जिंदगी में हम सफल हो

या असफल

पर हम सीखते रहते हैं


हमारी जिंदगी में

अनुभव बढ़ते रहते है

जो जिंदगी के आसमाँ

को छूने में

हमेशा हमारी मदद करते हैं


और हम एक दिन

अपने ख्वाबों का आसमाँ

छू ही लेते हैं

अपने हौसले की

सीढ़ी के बल पर।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational