छूना है आसमाँ
छूना है आसमाँ
मुझे बचपन से
आसमाँ को छूने
की बड़ी तमन्ना थी
तो सीढ़ियां लेकर
जाती उसमें
चढ़कर आसमाँ को
छूने की लगातार
कोशिश करती
हर बार असफल
होती थी
न आसमाँ छू पाती थी
ना चाँद तारे
तोड़कर ला पाती थी
ना ही सूरज के पास जा पाती थी
पर लगातार कोशिशों
ने मुझे कभी न हार
मानने का जज़्बा सिखया
हर बार मुझे अपने आप
मुकाबला करने के लिए
प्रेरित किया
मुझे ये सिखाया कि
जिंदगी में हम सफल हो
या असफल
पर हम सीखते रहते हैं
हमारी जिंदगी में
अनुभव बढ़ते रहते है
जो जिंदगी के आसमाँ
को छूने में
हमेशा हमारी मदद करते हैं
और हम एक दिन
अपने ख्वाबों का आसमाँ
छू ही लेते हैं
अपने हौसले की
सीढ़ी के बल पर।।