छू लूं तुम्हें
छू लूं तुम्हें
छू लूं तुम्हें,
ना तुम्हारे होंठ
ना तुम्हारी ये जुल्फें
बस तुम्हें,
कुछ इस तरह
मैं तुम्हारे इतने
करीब आ जाऊं कि
मुझे तुम्हारे अलावा
कुछ दिखाई ना दे,
मैं तुम्हारी आंखों में
अनंत काल तक
देखता रहूं और
तुम्हारे जमीर
और तुम्हारी आत्मा के
हर कोने में मेरी
कविताएं लिख दूं,
छूँ लूं तुम्हें क्योंकि
मेरे इस खयाल से
ही मेरी आत्मा को
सुकून मिल रहा है।

