चेतन मन
चेतन मन
चेतन मन प्रभु चैतन्य रहे जन
कदम कदम पर शतरंज बिछा है
ना जाने किस मोड़ पे प्रतिद्वंद्वी
मग कौन सा जाल बिछा देगा।
राजा वजीर ऊँट और घोड़े
किसी को कमतर नहीं समझना
प्रभु शरणागत होकर ही मानव
जग विजय पताका फहरा सकेगा।
जिसके आगे नर्वस हो जाते
खल शकुनी जैसे महा धुरंधर
निज कर्म करें सत्कर्म करें मनु
प्रभु जीवन यह सफल बना देगा।
सब गुन आगर दया के सागर
आस्तिकता में मना रमा देना
मिट्टी सा तन क्षण भंगुर जीवन
'वीनू' तन धन्य वही बनायेगा।
