चेत मछँदर कोरोना आया
चेत मछँदर कोरोना आया
चेत मछँदर कोरोना आया
इंसानियत पे रोना आया,
जहां देखो गिद्धों की टोली
रूह अंदर से कुछ ना बोली,
लाशों से रिश्वत ले आया
मौका पाकर धन कमाया,
कैसे चले सांसो की डोरी
छाती पे बैठे अनेक अघोरी,
कफन से कपड़ा कैसे लाऊँ
नाच है नंगा कैसे छिपाऊँ ,
नगर में फैला अंधेर साया
राजा ही जिसका गंडू पाया
