चेहरा
चेहरा


जीवन के सुहाने सफर में,
कुछ मुलाकातें हुईं ऐसी,
बाद जिनके, जुस्तजू ही न रही,
औरों से मिलने की जैसे।
वो चेहरे जिनको देखकर,
हमारी सुबह हुआ करती थीं निराली,
जिनके बिना अधूरी थी,
मेरी हर ईद - दिवाली।
आज उनसे रुखसत होने को,
दिल चाहता है,
ऐ खुदा,
उसे भूलने को दिल चाहता है।
जिस चेहरे की मुस्कुराहट से ,
हुआ करती थीं,
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हमारे चेहरे की रंगत,
उस से नज़रें फेर लेने को,
जी चाहता है।
जो मालूम होता की,
उनकी फितरत है क्या,
भला क्यों करते उनपे ,
अपने सपने कुर्बान।
आज इस खता को ,
ठीक करने को दिल चाहता है,
उस बेवफ़ा हसीन चेहरों को ढकते चेहरों से
रुखसत होने को जी चाहता है।
हां,
उसे भूल जाने को जी चाहता है,
उसे भूल जाने को जी चाहता है।