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बोधन राम निषाद राज

Abstract

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बोधन राम निषाद राज

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चैन की नींद

चैन की नींद

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धरती अम्बर के तले, रहना है सुख चैन

सबसे हिलमिल के रहो, सबसे मीठी बैन।


नहीं फिक्र संसार का, करना मत तुम यार

नींद चैन की ले चलो, कुछ पल दुःख बिसार।


आपा-धापी मत करो, जीवन भर है काम

मन में क्यों है सोचता, कर लो कुछ आराम।


नील गगन की सैर में, सपने कर साकार

देखो ऊँचा ख्वाब को, नाम कमा इक बार।


मन में सुख की चाह हो, हर गम से हो दूर

दुख में खुशियाँ ढूंढ लो, नींद मिले भरपूर।


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