चाय की प्याली
चाय की प्याली
यूं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर एक पल अपने साथ यूहीं चलता रहा।
सुबह की ताज़गी शुरू होती है इसीसे
ना मिला तो समझो, दिमाग घूमा वहीं से
यूं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया।
मुश्किलों को भूलने में इसने किया मदद
इसके साथ,
समय दोस्तों के संग बीतता है गदगद
यूं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया।
गम हो या खुशी, फ़र्क कभी पड़ा नहीं
अपने या अनजाने, साथ इसका है सही
यूं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया।
बात घर की हो, या दफ्तर में काम की
इसके बिना होता सही नहीं है कुछ भी
यूं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया।
हर मौके मे मुक़द्दर का सिकंदर बना दिया
और इसके साथ हर मुक़ाम आसान हो गया
यूं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया।
सोचते सोचते
मुझे उसकी याद आ गई।
संशय की बात नहीं कोई
और अब चली मैं मज़े लेने
उसे जो है एक चाय की प्याली।