STORYMIRROR

Rajiv Jiya Kumar

Abstract Romance Classics

4  

Rajiv Jiya Kumar

Abstract Romance Classics

❣चाँदनी की बनी तुम।~~~~~~~~~~

❣चाँदनी की बनी तुम।~~~~~~~~~~

1 min
233

बनी हो तुम चाँदनी की

सजे सितारों के झुुरमुट से

झलकता रूप यह तुुुम्हारा

बरबस आमंत्रण देता है


पिघल गुम तुम में हो जाए 

बचे फिर न कभी कोई

यह अस्तित्व, यह रंग जो हमारा है।।


सजाया है निगाहों से 

तुुुुम्हारे राह को सनम हमने

हमारे आंगन मेें उतरो न

कई जन्मों की साथी हो

बसी हर आहट पर तुुम हो


सहारा बस तुम्हारी

बाहों का ही तो है।।

इस सुुुहानी रात की रागिनी

धङकन में भी गुनगुन करती है


तुुुम्हारे पायल की रूनझुन भी

यही ईक बात कहती है

बनाया है खुदा ने फ़ुरसत मेें

तुुमको,तुम हमारी रंगिणी हो।।


महक उठा सेहरा यह सारा है 

जहाँ वीराना पसरा रहा 

तुुुम्हारे ठहर जाने का

पहर यह बीत न जाए 

दुुआ यह ईक हमारा है,

बनी हो चाँदनी की तुुम

कहाँ कोई तुमसा प्यारा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract