चाँद सी सूरत
चाँद सी सूरत
जब-जब कोई चाँद सी सूरत देखते हैं,
तब-तब तुम्हारी तस्वीर बन जाती है।
कल गली से जाती दिखीं एक लड़की,
पीछे से बिल्कुल तुम्हारी तरह लगती।
बहुत कोशिशें करके भी सूरत न दिखीं,
थक हारकर न तुम्हारी तस्वीर बना बैठे।
हमारे महताब का जलवा क्या देखा मैंने,
दिल जिगर में लाखों तूफ़ान उठने लगे थे।
मैख़ार मै साग़र पीने की लालसाएं बढ़ती,
साकी नहीं तो मैख़ानों का भी क्या कसूर।
उनकी सीरत और चाँद सी सूरत है प्यारी,
जब वो न होते तो तस्वीर हमसफ़र हमारी।