चाँद में भी दाग है
चाँद में भी दाग है
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निहार कर उसे ....जब चाँद पर नज़र गई यूँ ही ,
चाँद में दाग दिखा ....इतने में वो भी चल दिया।
आज खत्म हुआ था ,अपना सालों का रिश्ता ,
मैने ऐसे ही कई सालों से ,चाँद को अर्ध्य दिया।
उन कसमों का भरम ,टूटा देर से ही ,
व्रत में छिपी वो दीर्घायु ,अब झूठी थी हुई।
जो मेरा ही ना रहा ,उसकी उम्र को भला ,
मैं चाँद से माँग कर भी ,क्या रहूँगी अब खुश सदा ?
बैरी चाँद हुआ ....उसका साथ गया ,
चाँद में भी दाग है ,ये पता आज चला।।