Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

GAUTAM "रवि"

Abstract Classics

4.5  

GAUTAM "रवि"

Abstract Classics

चाहतें

चाहतें

1 min
262


ना मन्दिर, ना मस्जिद, ना गिरिजाघर चाहिये,

प्रेम का प्यासा हूँ, प्यार की तेरे इक नज़र चाहिये,


बहुत भटका हूँ इस जीवन की भूलभुलैया में,

जहाँ साथ चल सको तुम, वो डगर चाहिये,


बेंइतहा प्यार भरा समंदर सा दिल है मेरा,

जिसमें तू आकर मिले वो लहर चाहिये,


मेरा छोड़ो, तुम अपना सारा हाल कह दो,

कहाँ हो, कैसी हो, तेरी हर बात की खबर चाहिये,


खामोशी हो, ना मैं कुछ बोलूं, ना कुछ तुम कहो,

जो आखों से हाल पढ़ ले, मेरे यार में ऐसा हुनर चाहिये,


ना मिलो इस जन्म में चलो कोई बात नहीं,

जन्मों का इन्तजार कर सको, ऐसा सब्र चाहिये,


सब कुछ हासिल है यूँ तो जीवन में मुझे,

पर तुम अपना लो, दुआओं में इतना असर चाहिये,


हो सुकून थोड़ा सा, जी सकूँ कुछ पल राहत के,

फ़िकर कोई रहे ना जहाँ, ऐसा एक घर चाहिये,


वो अलसायी सी, गर्मी की, खामोशी हो हर ओर,

जगमगा उठे 'रवि' फ़िर, ऐसी दोपहर चाहिये।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract