चाह
चाह
पंख नहीं पर आसमान में उड़ने की है चाह,
ऊँचाई पर जाने की आज बनानी है अपनी राह,
माना कि मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं,
जीत होगी अपनी, अपने मुक़द्दर के हैं हम बादशाहI
मैं उड़ना चाहता हूँ, करता रहूँगा हर संभव प्रयास;
उड़के रहूँगा इतना मुझे है, अपने पे विश्वास;
लोग पंख नहीं होने का दिलाते रहेंगे एहसास,
हौसला बुलंद है तो भला क्यों रहूँ मैं उदासI