बुढ़ापे का सच
बुढ़ापे का सच
बुढ़ापे का सच
होता बढ़ा ख़राब
बूढ़ा कहता
अभी तो मैं जवान हूँ
बच्चे कहते अभी
आपकी उम्र ही क्या हे
यार दोस्त कहते
अभी तो शादी की
उम्र हे तेरी
बीबी कहती अब तो
बूढ़े हो गए बचा ही क्या हे
कुछ साल ओर
राम राम जपो
पड़ोसी कहते
पड़ोसन कहती
भाई साब अभी तो
हट्टे कट्टे हैं
अब आप ही बतायें
हम क्या करें
किसकी सुने
किसकी नहीं
किसकी माने
किसकी नहीं
हमारे दिल से पूछो
की हम क्या हैं
जलता हुआ चिराग हैं
की जो जब तक
जल रहा है
जब तक तेल है
जिस दिन तेल ख़त्म
खेल खत्म
दीये में तेल भरा होता
तेज रोशनी देता
जैसे जैसे तेल कम होता
रोशनी भी कम
होती जाती और
एक दिन तेल ख़त्म
सब कुछ ख़त्म
यही हे बुढ़ापे का सच
दीये में तेल
कम होता जा रहा है
रोशनी भी
कम होती जा रही है
अब कोई बूढ़ा
अपने को जवान समझें
कोई उम्र का तकाजा करे
यार दोस्त कितना भी
भरोसा दिलाएं जवानी का
बीबी बच्चे कुछ कहें भी
सच्चाई तो यही हे यारों
मानो या ना मानो
तेल ख़त्म खेल ख़त्म।