बुनियाद
बुनियाद
बड़े सलीके से रखा था छुपाकर फ़िजा में तुझको
रकीब ने चालाकी से पानी मे जहर घोल दिया
वह समझ बैठा था परबतो की चोटी खुदको
हवाओं ने चुपके से आँधियों का मोल दिया
खोखली हो चुकी है बुनियाद उसकी मगर
अकड़ ने वजूद उसका माटीमोल कर दिया
असमंजस की निगाह तितरबितर हो गयी
जुगनुओं ने युद्ध का ऐलान बोलकर कर दिया
नफरतों की कलियाँ उग आयीं हरतरफ
काँटो ने जवाबी हमला खाल खोलकर कर दिया
बसेरा सबका है यहाँ 'नालन्दा' मत रोको कारवाँ को
पैरो के छालों ने पथ को लहूलुहान कर दिया!