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Anita Jha

Abstract

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Anita Jha

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बसंत ऋतु

बसंत ऋतु

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रवि की छवि देख कवि मन हर्षाया है  

मौसम वसंत ऋतु बन मधुबन आया है   


सूरज क़िरणों से कवि कल्पना साकार हुई है  

वसंत ऋतु खिली धूप संग फिर मन बौराया है 


देख लालिमा छवि मन दिव्य संचार जगाया है   

तूलिका क़लम संग बासंती रंगों ने रंग जमाया है 


वसंती रंगों शुशोभित मधुबन की ये मधुशाला है  

रति कामदेव मधुयामिनी में रूप रंग सजाया है   


चाँद हर्षित गुंजित नभ मंडल में आया है  

पूनम चाँद बन छँटा निहारे चाँदनी छाई है।


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