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Anita Jha

Inspirational

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Anita Jha

Inspirational

नारी की सुन्दर गरिमा

नारी की सुन्दर गरिमा

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नारी की सुन्दर गरिमा हूँ, 

प्रकृति की रचनाओं से प्रेरित रचना हूँ, 

मत पालों ऐसी भ्रान्ति ग़लतफहमियों को 

निराकार को साकार देखती हूँ।


अबला नहीं सबला हूँ 

नारी की सुन्दर गरिमा हूँ।


नर हाथों की नहीं कठपुतली हूँ,

निराकार साकार देखती हूँ,

लाचार नहीं कमज़ोर नहीं हूँ,

अबला नहीं मै अब सबला हूँ।


क्रूरर दानव कर धरा को बाँध लिया है,

क्रंदन की गुहार लगा इंसान खड़ा है,

नभ मंडल में अलंकृत नाम नारी है,

कैसा व्यभचारी दानव दैत्य बना है ।


क्रूरर अत्याचारी को ले आऊँगी,

धरती अम्बर विशालकाय को समा जाऊँगी,

सीता नहीं अब सबला हूँ ,

ज़ंजीरो को तोड़ समाज गाड़ जाऊँगी ।


एक नया इतिहास बना जाऊँगी,

मैं दानव को दिन में तारे दिखा जाऊँगी,

भारत माता हूँ अबला नहीं सबला हूँ ,

कर ज़ंजीरो से मुक्त करा जाऊँगी, 

फ़िर से एक खूबसूरत भारत बना जाऊँगी ।



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