कालजयी रचना
कालजयी रचना
साहित्य के सदचरित्र चलचित्र निर्माण किया था
भोला भाला इंसान दिखाया खाई तीन क़समें थी
कालजयी मैला आँचल वो रचना थी छा गई अंतरमन गहराई में अमिट छाप जनमन छोड़ गईं
फ़णिश्वर अलंकृत किये पद्मश्री से थे
वर्तमान स्थिति देख जब रेणू ने लौटाया था
लोकहित परहित में जूझ रहे लोकनायक थे
झूठे प्रहार दमन की पराकाष्ठा देश जूझ रहा था
नही ले सकता ये गौरव सम्मान गाँधी की नगरी में
कालजयी रचना कर पापश्री नही कहलाऊँगा
साहित्य समाज का दर्पण धूमिल नही कर जाऊँगा
मिथला जनभूमि विद्यापती के गीत सुना जाऊँगा
