बसंत ऋतु
बसंत ऋतु
गाएं हम सब खुश होकर, आया है बसंत
है ये राजा ऋतुओं का, लाए खुशियां अनंत।
हरित पीत वस्त्रों से, सजी है आज धरती
आंचल में से अपने, मीठी सुगन्ध ये भरती।
तुम भी आली रंग - बिरंगे, परिधानों में लजाना
घूम नाच मगन होकर, अपने प्रियतम को रिझाना।
गाओ सखी इस बसंत ऋतु में, स्नेह प्रेम का मंत्र
गाओ आली अब मगन होकर, आया है बसंत।
जन्नत का सा ये अद्भुत नज़ारा बिखेरकर
जा रहे हैं सप्त अश्व के रथ में बैठकर।
कभी न हो इस मोहक ऋतु का अंत
गाओ सखी मग्न होकर,आया है बसंत।
