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KHEM SINGH

Abstract

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KHEM SINGH

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आओ मिलकर करें भलाई

आओ मिलकर करें भलाई

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उठो जागो और सबको जगाओ

लोक कल्याण का मार्ग दिखाओ

सो रही है मानवता निज अब

हाहाकार मचा दे ये कब ?


कर दे कुछ अनहोनी ये दिन

पहली ही जगा दो कष्ट बिन

क्या पता कब आए आंधी अंधेरे की

ले उड़ जाए ज्ञान सब भारी - भारी


अर्थ को अनर्थ होने से बचा ले रे नर!

कर दे आलोकित पूरा जग भर

नमन मेरा उस नूर के टुकड़े को

जिसने दिया निज अपना सहारा सबको


आलोकित किया इस जहां को सारा 

चेतना दी लड़कर खुद नहीं हारा

अनर्थ का अर्थ बना दिया उसने

मानवता को निज जगा दिया उसने


उठो जागो और सबको जगाओ

लोक कल्याण का मार्ग दिखाओ।


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