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KHEM SINGH

Abstract

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KHEM SINGH

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मैं भंवरा हूं

मैं भंवरा हूं

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देखो मैं भंवरा प्यारा हूं

हर फूल और हर कली

मंडराता सबसे न्यारा हूं 

गीत सबको सुनाता हूं


गुन गुन गुन गुन गुन

गाता हूं मैं मधुर धुन धुन

मेरी धुन सुनकर

कलियां मुस्कुराती है


फूल खिल कर हंसने 

लग जाते है वे सब

जब मैं गुन गुन गाता हूं

पीकर रस मैं फूलों से


पराग उनका बिखेरता हूं

इस प्रकार के करने से

मैं उनकी संतति में

अपना योगदान देता हूं


प्यार फूलों से है मुझे

कली कली है मेरी दोस्त

तितली रानी मेरी बहिन है

मेरा हाथ बंटाती है


वे भी पराग का रस लेकर

फूलों तक पहुंचाती है

कड़वा कठोर हूं मैं

काठ को गुजर जाता हूं


पर जब भी फूलों में

बंद हो जाता हूं

तब उनके आलिंगन में ही

पूरी रात बिताता हूं


कोमल उनके आलिंगन में

मदमस्त हो सो जाता हूं

सूर्योदय के समय जब 

फूल खिलने लगते हैं


पहली किरण की आभा से

तब मैं बाहर निकल आता हूं

तन का हूं मै काला बेशक

दिल का उजला रहता हूं


हां मैं भंवरा हूं 

मैं गुन गुन गुन गाता हूं

मानो या ना मानो पर

मैं बड़ा दिलवाला हूं


मुझसे प्यार करोगे तो

रस फूलों का देता हूं

पंगा लेने वालों को

मैं काट खा जाता हूं


हां मैं भंवरा हूं

गुन गुन गुन गुन गाकर गाथा

दुनिया को प्रेम राग सुनाता हूं

हां मैं भंवरा हूं

गुन गुन गुन गुन गाता हू्ं।


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