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KHEM SINGH

Abstract

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KHEM SINGH

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महंगाई कम कर दो

महंगाई कम कर दो

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कर सकते हो तो करके दे दो

वापस लाकर उस सच्चाई को

भ्रष्ट आतंक को खत्म कर दो

महंगाई को जरा कम कर दो


महंगाई पर महंगाई होती होगी

भूख पर भूखे मरेंगे लोग

कब तक आबरू लुटती रहेगी

कब तक भागेंगे यूं भोग


दिनदहाड़े लूटे खजाना

बंद करो इस कडों को

महंगा हो गया गैस चलाना

अब कैसे पकाएं अंडों को


कब तक सहेंगे मार इसकी

कब घटेगी इसकी डोर

कब आएगा सस्ते का मौसम

नाचेंगे आंगन में मोर


ऐसी विधि बना दे दाता

छुए ना कोई बुराई को

भ्रष्ट आतंक को खत्म कर दो

महंगाई को जरा कम कर दो।


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