भोला बसंत
भोला बसंत
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बसंत तुम हो बिल्कुल भोले
आ जाते हो दिल को खोले
प्रकृति के ले निराले गोले
बसंत तुम हो बिल्कुल भोले
जहां न बदला ऋतु बदल गई
दुनिया बहुत दूर निकल गई
सर्दी गर्मी के मौसम में
दुनिया सारी बदल गई है
उथला तेरा महिमा का मंडन
कलाई वक्र पर मोली व चंदन
भीतर अहं का भाव बोले
बसंत तुम हो बिल्कुल भोले
माह मास का नियम बदलकर
आ जाते हो बाल पकड़ कर
उड़ाओ यूं ही नहीं उड़न खटोले
बसंत तुम हो बिल्कुल भोले।
