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Pawanesh Thakurathi

Abstract

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Pawanesh Thakurathi

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बसंत का कैसे स्वागत करूँ

बसंत का कैसे स्वागत करूँ

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बढ़ रहा नित अनाचार

हो रहे नित बलात्कार

ऐसे में लगातार

मैं कैसे धीर धरूं

तुम ही बताओ बसंत का

मैं कैसे स्वागत करूँ।


भ्रष्टाचार की माया है

व्याधि पीड़ित काया है

ऐसे में लगन का रंग

कैसे मैं भरूँ

तुम ही बताओ बसंत का

मैं कैसे स्वागत करूँ।


अपसंस्कृति हावी है

भटकी पीढ़ी भावी है

ऐसे में खोने से मैं

कैसे ना डरूँ

तुम ही बताओ बसंत का

मैं कैसे स्वागत करूँ।


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