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Priti Chaudhary

Abstract

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Priti Chaudhary

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बसंत का आगमन

बसंत का आगमन

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ऋतुराज का आगमन हो रहा है,

 बसंती बसंती गगन हो रहा है।

शब्दों के माणिक्य पिरोए हमने माला में,

ऋतुराज के स्वागत का आयोजन हो रहा है।


प्रत्येक ऋतु का राजा है बसंत,

करता है मलिन पतझड़ का अंत,

पौधे सुशोभित नव कोंपलों से,

नव प्रसूनों से पुलकित चमन हो रहा है।


 मखमली हरियाली फैली है दूर तक,

 समेट लें इसे चक्षुओं के नूर तक,

 आशाओं की कलियां खिल उठी हैं आज,

 उर से उदासी का दमन हो रहा है।


मधुर संगीत सुनाएं सरिता की रवानी,

 गुलाबी -गुलाबी है तटिनी का पानी,

 हृदय तृप्त इस मधुर कल कल से,

प्रेम रस से सिंचित हृदय-वतन हो रहा है।


राहों में उम्मीदों के दीप जलने लगे हैं,

 स्वर्णिम स्वप्न नयनों में पलने लगे हैं,

 प्रकृति के रूप पर रीझ गया मन,

 मानो पावन पवित्र कोई हवन हो रहा है।


सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ हैं ऋतुराज,

झंकृत हुए हैं हृदय के साज़,

अलौकिक सौंदर्य है बसंत ऋतु का,

दृगों से सुंदरता को नमन हो रहा है।


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