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Sandeep Kumar

Abstract Romance

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Sandeep Kumar

Abstract Romance

बस एक नशा था प्यार का

बस एक नशा था प्यार का

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तस्वीर लगी थी दीवार पर

प्रियतम प्रिय यार का

जो घर बना चुका था

दिल में दिलों बहार का।।


उसके सिवा न दुनिया में

दिखा चेहरा बजार का

बस इतना ही दायरा था

प्रियतम मेरे प्यार का।।


हवा जो उलझा उलझा रहा

देखा जो फोटो यार का

बस इतना सुंदर सुमधुर था

प्रियतम फिगर प्यार का।।


मानो नशा धोल रखा था

तन मन दिलदार का

बिना देखे समय ना बीते

जरा कहीं इंतजार का।।


छा चुका था मस्तिष्क पर

प्रियतम यादें पुकार का

चलते फिरते हंसते गाते

बस एक नशा था प्यार का।।


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