बस दो शब्द ..
बस दो शब्द ..
बस दो शब्द … की कहानी है
“ ये ज़िंदगी “…
ये दो शब्द है जो हमें चला रहे है
एक है दिल …..दूजा दिमाग़
दिल ख़ुश है तो दुनिया रंगीन है
फूलों में रंग है, बादलों में इंद्र धनुष है
और तो और ये शरीर जिस में ये दिल है
रंग बिरंगे कपड़ों से सजा है
दिमाग़ का सोचे,
तो चलता है दिल के कहने से
पर कभी कभी ऐसा होता है
दिल मजबूर कर देता है
दिमाग़ को की अपने निर्णय खुद ले
यहाँ पे आ के …… अगर दिमाग़ का फ़ैसला सही हो जाए
तो ये ज़िंदगी जो दी उस प्रभु ने …..
एक जिस्म बना के ….
ऊँचाई छू जाती है …
या गहरायी में डूब जाती है
