बनाम शायर
बनाम शायर


हकीकत के शहर में
शायर बदनाम है बहुत,
वो किलकारियां जो वो पिरोता है,
असलियत में गुमनाम है बहुत,
असल ज़िन्दगी है जनाब
कोई पारियों की कहानी थोड़े है,
सदाकत में तो नगमा- ए - दर्द
सुन ने को मिलते हैं बहुत
मगर सवाल ये हैं कि,
क्या शायर खुश - हाल है बहुत?
फोटो डाकिया है
उन्हीं किलकारियों की चिट्ठियां,
घर - घर डालता है बहुत
हां ये सच है कि ,
असल ज़िन्दगी कुछ रूठी सी है
कुछ गहरे ज़ख्मों सी हैं
वोही सख्शियत है एक शायर,
उन ज़ख्मों पर मरहम लगता है बहुत!