बलिदान
बलिदान
देश पर हम बलिदान हो जायेंगें,
मर जायेंगें ,मिट जायेंगे ।
आँख उठा देखेगा जो,धरती माँ की ओर
आँख को निकाल देगें।
हाथ उठा जो इस तरफ ,हाथ काट फेंक देगें।
टुकड़े करके सौ ,रक्त की बूँद -बूँद को शरीर से निचोड़ देंगें।
धड़ से अलग भले ही मस्तक हो जाये,
फिर भी दुश्मन को धूल चटा देगें।
रूका अगर इस आँगन में कोई दुश्मन,
यमलोक में उसे पहुँचा देंगें।
यमराज भी अगर आये सामने,हाथ जोड़ लूँगा
पर दुश्मन को अपने घर में न घुसने दूँगा।
काट-काटकर, फाड़-फाड़कर उनके जिस्मों को चील कौवे को खिला दूँ।
देख सुरक्षित देश अपना ,तब साँसे छोडूँ।
सीने पर खाकर गोली ,इस धरती को न छूने देंगें।
मर कर ,अपना नाम गगन पर लिख जायेगा।