बजट
बजट
ज़िन्दगी में जानना जरूरी हैं कि कब, कहाँ, कितना खर्च करना,
तो जरूरी खर्चो के सिवाय गैरजरुरी खर्चो पर प्रबंध लगाया जाता,
और संतुलित उपभोग करने के लिए बजट बनाया जाता,
इस तरह गृह प्रबंधन का जिम्मा गृहिणी के हाथ में होता।
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का जब प्रश्न उठता,
तब देश के आय के स्त्रोतों का गहन आकलन किया जाता,
उसी आधार पर क्रमबद्ध बजट बना संसद में पेश किया जाता,
और देश प्रबंधन का जिम्मा जनता द्वारा नियुक्त नेता पर होता।।
और ऐसे ही जिम्मेदारियों का भी एक बजट हर जगह होता,
माँ बाप का बच्चों के प्रति खर्चो का लेखा जोखा होता,
कब, कहाँ, किसको कितना लेना-देना ये सामाजिक प्रबंधन होता,
बुजुर्ग, सामाजिक खर्चे, शादी, उत्सव का बजट में समावेश होता,
बजट चरमरा ना जाये अतः कहीं हाँ तो कहीं ना भी करना पड़ता।
