बिक गए पैंतीस करोड़ में
बिक गए पैंतीस करोड़ में
तुम क्यों बिक गए पैंतीस करोड़ में
और दे दिया विधानसभा से इस्तीफा ?
तुम क्यों बिक गए बीस करोड़ में
और अपनी आस्था / प्रकट कर दी
सत्ताधारी पार्टी में ?
तुम बिके / क्योंकि तुम्हारे पीछे
सी.बी.आई./ इ.डी. और इन्कमटेक्स वाले पड़े थे
आस्थाएँ बदलने से अगर फायदा हो तो,
अवश्य बदली जानी चाहिए
तेजी से बदलती प्रतिबद्धताओं को देख,
नागरिक हतप्रभ सा लोकतंत्र के इस नाच को देख
माथा कूट लेता है
राजनीति जनसेवा है या
प्लेट में रखी मेवा है
विकल्प ढूंढो या विकल्प बनो
नहीं बन सकते?
राजनीति धनपतियों की रखैल बन गई है
और हम श्रीहीन/ जाति, धर्म में बंटे
विभिन्न दलों में बंटे
क्या संगठित कार्यवाही कर पाएंगे?
पिटते जाना ही हमारा भविष्य है
पिटते लोग ही /उसकी जयजयकार बोलते है
पता नहीं कौन सा गांजा पीए हैं/ पिटते लोग!