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DR. RICHA SHARMA

Abstract

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DR. RICHA SHARMA

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बीती रात कमल दल फूले

बीती रात कमल दल फूले

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बीती रात कमल दल फूले

अंधेरा बीता अब उजालों संग झूलें

उतार-चढ़ाव से बिल्कुल ना

मुंह मोड़ें व सब के हृदय को छू लें


हमें तम से कभी घबराना नहीं चाहिए

गम को हर पल गले लगाना चाहिए

कर्म की शाखा को हिलाना चाहिए

खुशियों के फूल खिलाना चाहिए


राह में आने वाले काले बादल छट जाएँगे

कांटे बिखेरने वाले खुद ही पीछे हट जाएँगे

सैनिक बन कर हम तो मार्ग में डट जाएँगे

गोला-बारूद बन दुश्मन पर फट जाएँगे


कीचड़ के मध्य खिले कमल से

मिलता है हमको संदेश

हो बाहर कितनी भी गंदगी पर

नहीं पहुंचा सकती वो ठेस


सुगंधित व प्रसन्नता का प्रतीक

*कमल* दे रहा मुझे आदेश

बुराइयों को जड़ से खत्म कर

नए दिन संग करूँ मैं श्री गणेश।


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