बीत गया जो बीत गया
बीत गया जो बीत गया
बीत गया जो बीत गया बीत गया उसकी गाथा को क्या गाना
क्यों सुख की बातें बतलाना क्यों दुख का माथा सहलाना।
मौसम के परिधान बदलते ऋतुएं आती जाती है
पल-पल प्रात रात में बदले ये धरती समझाती है
वर्तमान चाहे जैसा हो निश्चित है अतीत बन जाना
बीत गया जो बीत गया उसकी गाथा को क्या गाना।
मुङ मुङकर पीछे मत देखो आगे मेले कई मिलेंगे
तुम अपनी सुवास बिखेरो बना कारवां साथ चलेंगे
किन्तु रुकेगा नहीं यहां पर सांसों का आना-जाना
बीत गया जो बीत गया उसकी गाथा को क्या गाना।
तेरी गति ही तय करती है क्या पाना क्या खोना है
यहां समय की भेंट चढे सब उसका जादू टोना है
परिवर्तन ही पथ दिखलाता छोड़ सखे उससे घबराना
बीत गया जो बीत गया उसकी गाथा को क्या गाना।