भय होनी चाहिए
भय होनी चाहिए
मेरा मानना है कि भय होनी चाहिए।
उठता है एक सवाल, क्या भय होनी चाहिए?
या भय क्यों होनी चाहिए?
इससे पृथक है..
एक ही जवाब- "भय होनी चाहिए।"
हां! भय होना चाहिए।
भय होना चाहिए, उस ४४०बोल्ट के बिजली रूपी समाज के निंदनीय भाव और हिंसक प्रवृत्ति से,
जो जला देता है एक मनुष्य को अंतरात्मा से,
जो जला कर राख कर देता उसके क्षमता को।
हां! भय होनी चहिए।
भय है आवश्यक ताकि लोग संभले, गिरने के भय से।
रखे कदम फूंक फूंक कर दलदल(समाज रूपी) में डूबने के भय से।
हां, भय है आवश्यक ताकि लोग डरे भयभीत होने के भय से।
भय होनी चाहिए।
हां, भय होनी चाहिए।