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Yogesh Kanava

Abstract Tragedy

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Yogesh Kanava

Abstract Tragedy

भूख

भूख

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मैं 

ग़रीबी की ब्याहता हूँ 

अमीरी से 

मेरा कोई रिश्ता नहीं 

जहाँ भी मैं जाती हूँ 

सबको अपने में 

समेट लेती हूँ 

मेरे कारण लोग 

विद्रोह कर सकते हैं 

भुला सकते हैं 

खून के रिश्तों को भी। 

मुझे 

देखना चाहते हो 

तो 

अधनंगे 

कूड़े करकट के ढेर में पले 

किसी बच्चे के 

मुख पर देखो 

रीढ़ से चिपके 

पेट पर देखो 

चेहरे पर पड़े गड्ढों 

और 

चमड़ी से बहार दिख रही 

पसलियों में देखो

अमीरों के 

लालच में देखो

वासना की 

आँखों में देखो  

मेरा वजूद तुम्हें मिल जायेगा 

क्योंकि 

मैं भूख हूँ 



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