बहुत रो लिए।
बहुत रो लिए।
बहुत रो लिए सर को पकड़ के।
अब जीवन की तुम राह चुनो।
बहुत रह लिये मां के आंचल में।
अब पर्वत जैसे बाप की बात सुनो।
बहुत हो गई हंसी ठिठोली।
जीवन को मत दो ऐसे अब गोली।
चलो धैर्य से पर्वत चढ़ने।
सब ख्वाबों की लेकर झोली।
देखो रसगुल्ले सा सूरज चमके।
पैर उठाओ अब तुम जमके।
भूख लगे तो रोना मत तुम।
खेलो भागो उठकर खा लो, वह बोली।