भोर
भोर


हुई भोर
नव सूरज अपनी
स्वर्णिम किरणों संग
खुशियों की बहार है लाया।
पाकर स्वर्णिम किरणों को
ओस की बूँदें चमक उठी
पात - पात लहरा उठी।
धरा पर चहुँ ओर
खुशहाली है छा गई।
ऐ मानव ! तुम भी
आलस और निराशा छोड़ो
उम्मीद और उमंग से भरकर
मंज़िल की ओर कदम बढ़ाकर
स्वर्णिम किरणों सा चमको और
खुशियों से नाता जोड़ो।