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भोजपुरी कजरी लोक गीत- 4

भोजपुरी कजरी लोक गीत- 4

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खिली कच्ची कली भईली कचनार हो

जाई परदेशवा हमके भूली गईला रजऊ

सेजिया पर मारे काला नाग फुफकार हो

जाई परदेशवा हमके भूली गईला रजऊ


फोनवा लगाई मुआ फोनवो न उठावेला

केवन सवतीनिया संगे मीठे बतियावेला

रोई रोई कजरा नैना भईले रतनार हो

जाई परदेशवा हमके भूली गईला रजऊ


पवन के झंकोरा हमके अँकोरा नियन लागेला

झम झम बरिस बदरा निहोरा हमके करेला

चिंता से गली देहिया भईली गुल गुलनार हो

जाई परदेशवा हमके भूली गईला रजऊ


रिमझिम पनिया बरसे नाचे बन मोरवा

कंचन कामिनी कईसे धीर धरी भोरवा

पपीहा पापी पीहू बोले गाये कोइली रसदार हो

जाई परदेशवा हमके भूली गईला रजऊ


डहके देहिया बहके मनवा चैन कईसे सईया

पानी बिना तडपी जईसे मछरी मोरे गोईया

लिखी गावे गीत कजरी भारती लहरेदार हो

जाई परदेशवा हमके भूली गईला रजऊ




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