भोजपुरी गजल- गुनाह नाही होला
भोजपुरी गजल- गुनाह नाही होला
कईल केहु से प्यार कबहुँ गुनाह नाही होला
रहा लगवे हमरे मन कबहुँ अथाह नाही होला
गऊआ के पकवा इनरवा जब पनिया भरेलु
हमरे नमवा के पयलिया आवाज़ काहे होला
देखली जबसे तोहके नजरिया में तू बस गइलू
दिलवा में बही उमड़ प्यार प्रवाह काहे होला
जइहा मत कबहु प्यार ठुकरा के तू हमरो
का बताई दिलवा केवनों गवाह नाही होला
ले लू जब अंगड़ाई आकास गिर ज़मीन जाला
तोहरे हुश्न के जोड़ा दुसर पनाह नाही होला
मुसका के मत देखा दिल कमजोर हमार
फट करेज़ा होई बाहर अगाह नाही होला
हमके बा आसरा कबों बदल मत जइहा
चाहे कहा मजनू प्यार फरहाद काहे होला

